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CRPF के बहादुर जवान संसद-राम मंदिर की सुरक्षा से हटाए जा रहे हैं, अब PDG की शानदार VIP सुरक्षा में उन्हें देखा जाएगा।

Ravi Sharma
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संसद भवन और अयोध्या में राम मंदिर की सुरक्षा के लिए CRPF जवानों को क्यों हटाया जा रहा है, यह सवाल लोगों की बहुत चर्चा का विषय बना हुआ है। सीआरपीएफ में ‘पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप’ (पीडीजी) की तैनाती संसद भवन की सुरक्षा के लिए की जाती थी।

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अब सुना जा रहा है कि संसद भवन की सुरक्षा के लिए पीडीजी को हटाकर, CISF को वहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जा रही है। यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और दो महीने के भीतर यह पूरी होने की उम्मीद है। पीडीजी को CRPF की vip सिक्योरिटी विंग में भेज दिया जाएगा।

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इसी तरह, अयोध्या में स्थित राम मंदिर की सुरक्षा के लिए तैनात CRPF विंग को भी वापस बुलाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मंदिर की सुरक्षा की कमान, उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) को सौंप दी जाएगी।

दो बटालियनों में विभाजित होगा पीडीजी दस्ता

सूत्रों के अनुसार, संसद भवन की मजबूत सुरक्षा के लिए ‘पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप’ (पीडीजी) का गठन किया गया था। इस खास टीम में लगभग 1600 जवानों को शामिल किया गया। इसके साथ ही, एक डीआईजी, एक कमांडेंट, एक टूआईसी, छह डिप्टी कमांडेंट और 14 सहायक कमांडेंट भी पीडीजी के हिस्सा बनाए गए।

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PDG के जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। 13 दिसंबर 2001 को, CRPF के वीर जवानों ने लोकतंत्र के मंदिर ‘संसद’ को पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले से बचाया था। पिछले वर्ष भी 13 दिसंबर को ही दो युवाओं ने संसद भवन में घुसकर धुआं फैला दिया था।

हालांकि, पीडीजी की ड्यूटी में कोई चूक नहीं थी। संसद भवन के प्रवेश मार्गों पर दिल्ली पुलिस और संसद सुरक्षा सेवा (पीएसएस) का स्टाफ तैनात रहता है। इसके बाद पार्लियामेंट की सुरक्षा व्यवस्था की उच्चस्तरीय समीक्षा की गई।

उसमें यह तय हुआ कि CISF को संसद भवन की सुरक्षा में लगाया जाए। अब पीडीजी दस्ते को दो बटालियनों में विभाजित कर उसे CRPF की vip सुरक्षा में शामिल किया जाएगा।

मंदिर तक पहुंचने का दुस्साहस नहीं कर सके

अयोध्या के राम मंदिर में 5 जुलाई 2005 को पाकिस्तान के आतंकी संगठन ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के दहशतगर्दों ने मंदिर परिसर में हथगोलों और राकेट लांचर से हमला किया था। मंदिर परिसर की सुरक्षा में तैनात CRPF जवानों ने ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के पांचों आतंकियों को राम लला के नजदीक पहुंचने से पहले ही ढेर कर दिया था।

उसके बाद सीआरपीएफ ने पुख्ता तरीके से मंदिर की हिफाजत की। इंटेलिजेंस एजेंसियों के पास कई बार मंदिर पर हमले का इनपुट आया, लेकिन CRPF के मजबूत सुरक्षा घेरे के चलते आतंकी, मंदिर तक पहुंचने का दुस्साहस नहीं कर सके।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले आतंकी हमले और डार्क नेट जैसे खतरों की बात सामने आई थी। हालांकि CRPF ने दूसरी सुरक्षा एजेंसियों की सहायता से किसी भी इनपुट को धरातल पर नहीं उतारने दिया।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले ही उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) को मंदिर के आसपास की सुरक्षा करने की योजना शुरू हो गई थी।

CISF ने मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। यूपी सरकार ने उन सुझावों का पालन करते हुए यूपीएसएसएफ को ट्रेनिंग दी है। यूपी पुलिस की स्पेशल सर्विस यूनिट में पीएसी के जवानों को शामिल किया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर होता है निर्णय

इस मामले में CRPF के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है, संसद भवन हो या राम मंदिर, यह बल हमेशा निर्दिष्ट सुरक्षा मानकों पर अड़ा रहता है। हालांकि, यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर होता है। 13 दिसंबर 2023 की घटना के बाद, उच्च स्तरीय बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे।

CRPF DG अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित की गई थी। इन सभी के बाद ही यह निर्णय लिया गया कि संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी CISF को सौंप दी जाए।

पुलिस कमिश्नर, जो कि पीडीजी के रूप में जाना जाता था, आम बल नहीं था। उसे सुरक्षा के कठिन और उच्च मानकों के आधार पर प्रशिक्षित किया गया था। अब लगभग 1600 जवानों और अफसरों को यहां से हटाया जा रहा है।

हालांकि यह पॉलिसी मामला है, लेकिन वर्षों से संसद भवन की सुरक्षा कर रहे PDG को हटाने की जरूरत को लेकर सवाल उठता है। आतंकवादियों और नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई और अन्य सुरक्षा क्षेत्रों में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने वाले पुलिस अधिकारी और जवान, पीडीजी को हटाने के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं।

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