अनगिनत मंदिर
आइए आज हम आपको ले चलते हैं भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन में। मथुरा वृंदावन सहित आसपास के इलाकों में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के अनगिनत मंदिर हैं। मथुरा में सबसे पहले बात करते हैं भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के बारे में। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा नगरी के बीचों बीच स्थित है।
मान्यता के अनुसार यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। इसकी सुंदरता देखते ही बनती। जहां हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसके बाद हम बात करते है
द्वारकाधीश मंदिर
द्वारकाधीश मंदिर की। यह मथुरा का एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर बेहद ही आकर्षक, कलात्मक और सुंदर है। इस मंदिर का निर्माण ग्वालियर के कोषाध्यक्ष गोकुलदास पारीख द्वारा सन् 1814 ईस्वी में कराया गया था। इस मंदिर की सेवा पूजा वल्लभ कुली संप्रदाय के गोस्वामियों द्वारा की जाती है। इसके पश्चात हम बात करते हैं विश्रामघाट की। यह ब्रजमंडल में मथुरा का प्रमुख घाट है। माना जाता है
बांके बिहारी मंदिर
कि असुर कंस के संहार के बाद श्रीकृष्ण और बलराम जी ने। यहीं पर जमुना जी में स्नान करने के बाद विश्राम किया था। विश्राम करने के कारण इसका नाम विश्राम घाट पड़ा। मथुरा के प्रमुख मंदिरों के दर्शन के बाद आइए आपको ले चलते हैं वृंदावन। वृंदावन का श्री बांके बिहारी मंदिर संपूर्ण भारतवर्ष में सुप्रसिद्ध है। श्री स्वामी हरिदास जी ने बांके बिहारी जी को निधिवन में प्रकट किया था।
बिहारी जी की सेवा का क्रम सन् 1863 तक। निधिवन में ही चलता रहता। इस मंदिर का निर्माण 1864 में सभी गोस्वामियों के सहयोग से कराया गया था। उसके बाद श्रीबांके बिहारी जी को इस मंदिर में प्रतिष्ठित कर दिया गया था।
इस मंदिर में प्रवेश करते ही अन्तःकरण में एक दिव्य अनुभव होता है। बिहारीजी के नेत्र सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। एक बार बिहारीजी के दर्शन करता है। वह उन्हीं का होकर रह जाता है। बांके बिहारी मंदिर के बाद हम बात करते हैं
प्रेम मंदिर
प्रेम मंदिर की। प्रेम मंदिर बांके बिहारी मंदिर से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर को कृपालु जी महाराज ने बनवाया था। मंदिर को बनने में करीब 11 वर्ष का समय लगा था।
इस मंदिर परिसर में झांकियों के माध्यम से बड़ी ही खूबसूरती से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया है। इस मंदिर के निर्माण में करीब 100 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च हुई थी। प्रेम मंदिर के बाद हम बात करते हैं।
श्री रंगनाथ जी के मंदिर
श्री रंगनाथ जी के मंदिर की। यह मंदिर वृन्दावन का सबसे विशाल मंदिर है। दक्षिण शैली के इस वैभवशाली मंदिर का निर्माण सेठ श्री राधाकृष्ण, उनके बड़े भाई सेठ लक्ष्मीचंद्र और उनके छोटे भाई सेठ गोविंददास जी ने अपने गुरु की प्रेरणा से कराया था।
मूल मंदिर में श्री रंगनाथ जी विराजमान हैं। लक्ष्मी जी उनके चरणों की सेवा कर रहीं हैं। इस मंदिर में सोने का 60 फुट ऊंचा खम्बा और सोने की मूर्तियों के साथ विशाल रथ दर्शनीय है। चैत्र मास में यहां पर भव्य मेले का आयोजन होता है। तो दोस्तों आज हमने आपको मथुरा और वृंदावन के पांच प्रमुख मंदिरों के दर्शन कराए।